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ऊँ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा।।
आरती श्री गणेश जी की
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥ जय...
एक दंत दयावंत चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे मूसे की सवारी ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥ जय...
हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥ जय...
'सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥ जय...
गणेश नामवली-108
1. बालगणपति : सबसे प्रिय बालक ! 2. भालचन्द्र : जिसके मस्तक पर चंद्रमा हो ! 3. बुद्धिनाथ : बुद्धि के भगवान ! 4. धूम्रवर्ण : धुंए को उड़ाने वाला ! 5. एकाक्षर : एकल अक्षर ! 6. एकदन्त : एक दांत वाले ! 7. गजकर्ण : हाथी की तरह आंखें वाला ! 8. गजानन : हाथी के मुख वाले भगवान ! 9. गजनान : हाथी के मुख वाले भगवान ! 10. गजवक्र : हाथी की सूंड वाला ! 11. गजवक्त्र : जिसका हाथी की तरह मुँह है ! 12. गणाध्यक्ष : सभी गणों के मालिक ! 13. गणपति : सभी गणों के मालिक !14. गौरीसुत : माता गौरी के पुत्र ! 15. लम्बकर्ण : बड़े कान वाले ! 16. लम्बोदर : बड़े पेट वाले ! 17. महाबल : बलशाली ! 18. महागणपति : देवो के देव ! 19. महेश्वर : ब्रह्मांड के भगवान ! 20. मंगलमूर्त्ति : शुभ कार्य के देव ! 21. मूषकवाहन : जिसका सारथी चूहा ! 22. निदीश्वरम : धन और निधि के दाता ! 23. प्रथमेश्वर : सब के बीच प्रथम आने वाले ! 24. शूपकर्ण : बड़े कान वाले ! 25. शुभम : सभी शुभ कार्यों के प्रभु ! 26. सिद्धिदाता : इच्छाओं और अवसरों के स्वामी ! 27. सिद्दिविनायक : सफलता के स्वामी ! 28. सुरेश्वरम : देवों के देव ! 29. वक्रतुण्ड : घुमावदार सूंड ! 30. अखूरथ : जिसका सारथी मूषक है ! 31. अलम्पता : अनन्त देव ! 32. अमित : अतुलनीय प्रभु ! 33. अनन्तचिदरुपम : अनंत और व्यक्ति चेतना ! 34. अवनीश : पूरे विश्व के प्रभु ! 35. अविघ्न : बाधाओं को हरने वाले ! 36. भीम : विशाल ! 37. भूपति : धरती के मालिक ! 38. भुवनपति : देवों के देव ! 39. बुद्धिप्रिय : ज्ञान के दाता ! 40. बुद्धिविधाता : बुद्धि के मालिक ! 41. चतुर्भुज : चार भुजाओं वाले ! 42. देवादेव : सभी भगवान में सर्वोपरी ! 43. देवांतकनाशकारी : बुराइयों और असुरों के विनाशक ! 44. देवव्रत : सबकी तपस्या स्वीकार करने वाले ! 45. देवेन्द्राशिक : सभी देवताओं की रक्षा करने वाले ! 46. धार्मिक : दान देने वाला ! 47. दूर्जा : अपराजित देव ! 48. द्वैमातुर : दो माताओं वाले ! 49. एकदंष्ट्र : एक दांत वाले ! 50. ईशानपुत्र : भगवान शिव के बेटे ! 51. गदाधर : जिसका हथियार गदा है ! 52. गणाध्यक्षिण : सभी पिंडों के नेता ! 53. गुणिन : जो सभी गुणों के ज्ञानी ! 54. हरिद्र : स्वर्ण के रंग वाला ! 55. हेरम्ब : माँ का प्रिय पुत्र ! 56. कपिल : पीले भूरे रंग वाला ! 57. कवीश : कवियों के स्वामी ! 58. कीर्त्ति : यश के स्वामी ! 59. कृपाकर : कृपा करने वाले ! 60. कृष्णपिंगाश : पीली भूरि आंख वाले ! 61. क्षेमंकरी : माफी प्रदान करने वाला ! 62. क्षिप्रा : आराधना के योग्य ! 63. मनोमय : दिल जीतने वाले ! 64. मृत्युंजय : मौत को हरने वाले ! 65. मूढ़ाकरम : जिनमें खुशी का वास होता है ! 66. मुक्तिदायी : शाश्वत आनंद के दाता ! 67. नादप्रतिष्ठित : जिसे संगीत से प्यार हो ! 68. नमस्थेतु : सभी बुराइयों और पापों पर विजय प्राप्त करने वाले ! 69. नन्दन : भगवान शिव का बेटा ! 70. सिद्धांथ : सफलता और उपलब्धियों की गुरु ! 71. पीताम्बर : पीले वस्त्र धारण करने वाला ! 72. प्रमोद : आनंद ! 73. पुरुष : अद्भुत व्यक्तित्व ! 74. रक्त : लाल रंग के शरीर वाला ! 75. रुद्रप्रिय : भगवान शिव के चहीते ! 76. सर्वदेवात्मन : सभी स्वर्गीय प्रसाद के स्वीकर्ता ! 77. सर्वसिद्धांत : कौशल और बुद्धि के दाता ! 78. सर्वात्मन : ब्रह्मांड की रक्षा करने वाला ! 79. ओमकार : ओम के आकार वाला ! 80. शशिवर्णम : जिसका रंग चंद्रमा को भाता हो ! 81. शुभगुणकानन : जो सभी गुण के गुरु हैं ! 82. श्वेता : जो सफेद रंग के रूप में शुद्ध है ! 83. सिद्धिप्रिय : इच्छापूर्ति वाले ! 84. स्कन्दपूर्वज : भगवान कार्तिकेय के भाई ! 85. सुमुख : शुभ मुख वाले ! 86. स्वरुप : सौंदर्य के प्रेमी ! 87. तरुण : जिसकी कोई आयु न हो ! 88. उद्दण्ड : शरारती ! 89. उमापुत्र : पार्वती के बेटे ! 90. वरगणपति : अवसरों के स्वामी ! 91. वरप्रद : इच्छाओं और अवसरों के अनुदाता ! 92. वरदविनायक : सफलता के स्वामी ! 93. वीरगणपति : वीर प्रभु ! 94. विद्यावारिधि : बुद्धि की देव ! 95. विघ्नहर : बाधाओं को दूर करने वाले ! 96. विघ्नहर्त्ता : बुद्धि की देव ! 97. विघ्नविनाशन : बाधाओं का अंत करने वाले ! 98. विघ्नराज : सभी बाधाओं के मालिक ! 99. विघ्नराजेन्द्र : सभी बाधाओं के भगवान ! 100. विघ्नविनाशाय : सभी बाधाओं का नाश करने वाला ! 101. विघ्नेश्वर : सभी बाधाओं के हरने वाले भगवान ! 102. विकट : अत्यंत विशाल ! 103. विनायक : सब का भगवान ! 104. विश्वमुख : ब्रह्मांड के गुरु ! 105. विश्वराजा : संसार के स्वामी ! 105. यज्ञकाय : सभी पवित्र और बलि को स्वीकार करने वाला ! 106. यशस्कर : प्रसिद्धि और भाग्य के स्वामी ! 107. यशस्विन : सबसे प्यारे और लोकप्रिय देव ! 108. योगाधिप : ध्यान के प्रभु
गणेश जी को प्रसन्न करने का एक मंत्र निम्न भी है:
ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्।
निम्न मंत्र का जाप करने से गणेश जी बुद्धि प्रदान करते हैं:
श्री गणेश बीज मंत्र ऊँ गं गणपतये नमः ।।
गणेश जी के इस मंत्र द्वारा सिद्धि की प्राप्ति होती है।
एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
मंगल विधान और विघ्नों के नाश के लिए गणेश जी के इस मंत्र का जाप करें।
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित्।
पूजा के दौरान गणेश जी के निम्न मंत्रों का प्रयोग करना चाहिए:
इस मंत्र के द्वारा भगवान गणेश को दीप दर्शन कराना चाहिए-
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया |
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम् |
भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने |
त्राहि मां निरयाद् घोरद्दीपज्योत
भगवान गणपति की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें सिन्दूर अर्पण करना चाहिए-
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम् |
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम् ||
इस मंत्र के द्वारा भगवान गणेश को नैवेद्य समर्पण करना चाहिए-
नैवेद्यं गृह्यतां देव भक्तिं मे ह्यचलां कुरू |
ईप्सितं मे वरं देहि परत्र च परां गरतिम् ||
शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च |
आहारं भक्ष्यभोज्यं च नैवेद
भगवान गणेश की पूजा करते समय इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें पुष्प-माला समर्पण करना चाहिए-
माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो |
मयाहृतानि पुष्पाणि गृह्यन्तां पूजनाय भोः ||
गणपति पूजन के दौरान इस मंत्र के द्वारा भगवान गणेश को यज्ञोपवीत समर्पण करना चाहिए-
नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम् | उपवीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वर ||
पूजा के दौरान इस मंत्र के द्वारा भगवान गजानन श्री गणेश को आसन समर्पण करना चाहिए-
नि षु सीड गणपते गणेषु त्वामाहुर्विप्रतमं कवीनाम् |
न ऋते त्वत् क्रियते किंचनारे महामर्कं मघवन्चित्रमर्च ||
गणेश पूजा के उपरान्त इस मंत्र के द्वारा भगवान् भालचंद्र को प्रणाम करना चाहिए-
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय |
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते ||
विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा करते समय इस मंत्र के द्वारा उनका आवाहन करना चाहिए-
गणानां त्वा गणपतिं हवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपतिं हवामहे |
निधीनां त्वा निधिपतिं हवामहे वसो मम आहमजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम् ||
इस मंत्र के द्वारा प्रातः काल भगवान श्री गणेश जी का स्मरण करना चाहिए-
प्रातर्नमामि चतुराननवन्द्यमानमिच्छानुकूलमखिलं च वरं ददानम् |
तं तुन्दिलं द्विरसनाधिपयज्ञसूत्रं पुत्रं विलासचतुरं शिवयोः शिवाय ||
गणपति पूजन के समय इस मंत्र से भगवान गणेश जी का ध्यान करना चाहिए-
खर्व स्थूलतनुं गजेन्द्रवदनं लम्बोदरं सुन्दरं प्रस्यन्दन्मदगन्धलुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलम |
दंताघातविदारितारिरूधिरैः सिन्दूरशोभाकरं वन्दे शलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम् ||