गायत्री महामंत्र
गायत्री देवी, वह जो पंचमुख़ी है, हमारी पांच इंद्रियों और प्राणों की देवी मानी जाती है
भगवान सूर्य की स्तुति में किए जाने वाले इस मंत्र का अर्थ
गायत्री मंत्र को हिन्दू धर्म में सबसे महेत्वपूर्- ण मंत्र माना जाता है.
यह मंत्र हमें ज्ञान प्रदान करता है| इस मंत्र का मतलब है - हे प्रभु, क्रिपा करके हमारी बुद्धि को उजाला प्रदान कीजिये और हमें धर्म का सही रास्ता दिखाईये. यह मंत्र सूर्य देवता के लिये प्रार्थना रूप से भी माना जाता है.
गायत्री मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या
ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
तत = वह
सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण- ्यं = सबसे उत्तम
भर्गो- = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य- = प्रभु
धीमहि- = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि
यो = जो
नः = हमारी
प्रचो- दयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)
यानी उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे। यदि कोई व्यक्ति इस मंत्र का जप नियमित रूप से करता है तो उसके अदंर उत्साह और सकारात्मकता आती है और त्वचा में चमक बढ़ती है, तामसिकता से घृणा होती है, परमार्थ में रुचि जगती है, पूर्वाभास होने लगता है, नेत्रों में तेज आता है, क्रोध शांत होता है, ज्ञान में वृद्धि होती है। आइए गायत्री मंत्र जप के स्वास्थ्य लाभ के बारे में जानते हैं।
शरणागत दीनार्थ परित्राण परायणे
सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणी नमोस्तुते
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
तत = वह
सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण- ्यं = सबसे उत्तम
भर्गो- = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य- = प्रभु
धीमहि- = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि
यो = जो
नः = हमारी
प्रचो- दयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)
हे प्रभु! आप हमारे जीवन के दाता हैं,
आप हमारे दुख़ और दर्द का
निवारण करने वाले हैं ।
आप हमें सुख़ और शांति
प्रदान करने वाले हैं ।
हे संसार के विधाता,
हमें शक्ति दो कि हम,
आपकी उज्जवल शक्ति प्राप्त कर सकें ।
क्रिपा करके हमारी बुद्धि को
सही रास्ता दिखायें ।
यानी उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे। यदि कोई व्यक्ति इस मंत्र का जप नियमित रूप से करता है तो उसके अदंर उत्साह और सकारात्मकता आती है और त्वचा में चमक बढ़ती है, तामसिकता से घृणा होती है, परमार्थ में रुचि जगती है, पूर्वाभास होने लगता है, नेत्रों में तेज आता है, क्रोध शांत होता है, ज्ञान में वृद्धि होती है। आइए गायत्री मंत्र जप के स्वास्थ्य लाभ के बारे में जानते हैं।
शरणागत दीनार्थ परित्राण परायणे
सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणी नमोस्तुते